

विश्व योग दिवस 21 जून 2025 के उपलक्ष्य में भाग 5 आपके समक्ष
विश्व योग दिवस 21 जून 2025 के उपलक्ष्य में भाग 5 आपके समक्ष……
लेख श्रृंखला – 5
( भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का अभिन्न अंग योग)
(करो योग, रहो निरोग )
अष्टांग योग –
______
आज के लेख में हम योग के चतुर्थ चरण प्राणायाम के बारे में जानेंगे। प्राणायाम पतंजलि के यम, नियम और आसन के बाद योग के आठ अंगों में से चौथा है । यह योग के अगले चार अंगों के लिए मन और शरीर को तैयार करता है।
प्राणायाम का उल्लेख प्रारंभिक योग ग्रंथों जैसे भगवद गीता, पतंजलि के योग सूत्र, हठ योग प्रदीपिका और घेरंड संहिता में किया गया है।
प्राणायाम
_____
यह श्वास की क्रियाओं से संबंधित है। स्थूल रूप में यह जीवनधारक शक्ति अर्थात प्राण से संबंधित है। प्राण का अर्थ श्वास, श्वसन, जीवन, ऊर्जा या शक्ति है। ‘आयाम’ का अर्थ फैलाव, विस्तार, प्रसार, लंबाई, चौड़ाई, विनियमन बढ़ाना, अवरोध या नियंत्रण है। इस प्रकार प्राणायाम का अर्थ श्वास का दीर्घीकरण और फिर उसका नियंत्रण है।
प्राणायाम का अर्थ
_____
प्राणायाम शब्द संस्कृत व्याकरण के दो शब्दों से मिलकर बना है, प्राण और आयाम। प्राण का अर्थ होता है जीवन शक्ति जो हमारे शरीर को जीवित रखती है। जिसके द्वारा हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है। जब हम प्राण यानी कि वायु को लेते हैं और बाहर निकालते हैं तब हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है। आयाम का अर्थ दिशा देना या बदलाव करना। जब हम प्राण वायु को खींचते हैं, तो हम उसकी दिशा पर नियंत्रण प्राप्त करते हैं। हम अपनी इच्छा अनुसार उसका आयाम बदल देते हैं सामान्य सांस आने और जाने की गति तो निरंतर होती ही रहती है। लेकिन प्राणायाम में हम अपने स्वास्- प्रवास की गति (सांस लेने रोकने) पर नियंत्रण स्थापित करते हैं, उसे प्राणायाम कहते हैं। हम जब सांस लेते हैं तो शरीर के अंदर जा रही हवा पांच भागों में फैलती है या कहें कि वह शरीर के अंदर पांच जगह स्थिर हो जाता हैं। ये पंचक निम्न हैं- व्यान, समान, अपान, उदान और प्राण।
प्राणायाम का उद्देश्य
________
इसका मुख्य उद्देश्य शरीर में ऊर्जा लाना। शरीर और मन के बीच संबंध मजबूत करना। स्वस्थ और लंबी उम्र प्रदान करना है।
प्राणायाम के लाभ
_____
प्राणायाम व्यक्ति के मन, मस्तिष्क और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। प्राणायाम करने से मन को शांति मिलती है। मन स्थिर होता है। मन की चंचलता कम करके मन को स्थिर करता है, इससे चिंता, तनाव जैसी परेशानियों से छुटकारा मिलता है। माना जाता है कि जो लोग प्राणायाम करते हैं, उनकी उम्र लंबी होती है। कहते हैं कि प्राणायाम के अभ्यास से ही ऋषि मुनि लंबे समय तक तपस्या किया करते थे।
प्राणायाम की तीन क्रियाएं
________
प्राणायाम करते या सांस लेते समय हम तीन क्रियाएं करते हैं- पूरक, कुम्भक और रेचक। इसे ही हठयोगी अभ्यांतर वृत्ति, स्तम्भ वृत्ति और बाह्य वृत्ति कहते हैं। इसका मतलब यानी की सांस को लेना, रोकना और छोड़ना।
1.पूरक– जिसमे नासिका द्वारा सांस को अंदर की तरफ लेते है उसे पूरक कहा जाता है।
2.कुम्भक – जिसके अंतर्गत सांस लेकर भीतर रोकना होता है। सांस को भीतर रोकने की क्रिया कुम्भक कहलाती है।
3. रेचक – सांस को बाहर की तरफ छोड़ना रेचक अर्थात नासिका द्वारा सांस को बाहर की तरफ छोड़ने की क्रिया रेचक कहलाता है।
प्राणायाम के भेद
_____
1. भस्त्रिका प्राणायाम
भस्त्रिका प्राणायाम श्वसन तंत्र के लिए एक बेहतरीन प्राणायाम है। इसे करने के लिए सबसे पहले पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। अपनी कमर, गर्दन, पीठ और रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा रखें। शरीर को स्थिर रखें। अब अपने दोनों नासिका छिद्र से आवाज करते हुए श्वास भरें। इसके बाद आवाज करते हुए श्वास बाहर छोड़ दें। आप ऐसे 10-15 बार दोहरा सकते हैं।
2. कपालभाति
कपालभाति पेट और श्वसन तंत्र के लिए एक बेहतरीन प्राणायाम है। इसके लिए आप सबसे पहले वज्रासन या पद्मासन में बैठ जाएं। अब अपने दोनों हाथों से चित्त मुद्रा बना लें। दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रखें। अब लंबी गहरी सांस लें और सांस छोड़ते हुए पेट को अंदर की तरफ खीचें। इसे रोज करने से आपको काफी फायदा नजर आएगा। इस प्राणायाम को आप अपनी क्षमतानुसार कर सकते हैं।
3. उज्जायी प्राणायाम
उज्जायी प्राणायाम करते समय समुद्र के समान ध्वनि आती है। इसलिए इसे ओसियन ब्रीथ के नाम से भी जाना जाता है। इसका अभ्यास सर्दी को दूर करने के लिए किया जा सकता है। उज्जायी प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले किसी आरामदायक आसान में बैठ जाएं। अब अपने श्वांस लेने की गति को निरंतर रखें और समान रूप से सांस लेते रहें। गले पर ध्यान
केंद्रित करें। विचारों पर नियंत्रण रखने की कोशिश करें। ध्यान लगाने के थोड़ी देर बाद सोचे की सांस गले से गुजर रहा है और लौट रहा है, यह क्रिया निरंतर चल रही है। इसके साथ अपने कंठ द्वार को संकुचित करने का प्रयास करें। इससे सांस की आवाजें सुनाई देने लगेगी। आप इसका अभ्यास 10-20 मिनट कर सकते हैं।
- शीतली प्राणायाम
शीतली प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले पद्मासन में बैठ जाएं। अपनी जीभ को बाहर निकालें। उसे गोल घुमाएं और लंबी गहरी सांस लें। दाहिने नाक से सांस बाहर निकालें। इसके बाद फिर से जीभ निकालें, गोल घुमाएं और सांस लें, फिर बाएं नाक से सांस बाहर निकालें। इससे आपको बॉडी में कूलिंग इफेक्ट मिलेगा। शीतकारी प्राणायाम तन और मन को शांत करता है।
5.शीतकारी प्राणायाम
शीतकारी प्राणायाम करने के लिए ऊपर और नीचे के दांतों को मिला लें, सीटी जैसी आवाज निकालें। अब दाएं नाक से सांस लेकर बंद कर दें और बाएं नाक से सांस छोड़ दें। आप इस प्रक्रिया को 10-15 बार दोहरा सकते हैं।
- चंद्र अनुलोम-विलोम
चंद्र अनुलोम विलोम करने के लिए सबसे पहले पद्मासन में बैठ जाएं। नासिका मुद्रा या विष्णु मुद्रा को हाथों से दबाएं। अब दाहिने अंगूठे से दाएं नाक को बंद करें। बाएं नाक से सांस लें और 4-8 तक गिनती करें। इसके बाद सांस छोड़ दें। आप इस प्रक्रिया को 4-8 बार दोहरा सकते हैं। अब बाएं नाक को उंगुली से दबाएं और दाएं नाक से सांस लें-छोड़ें। आप अनुलोम विलोम भी कर सकते हैं। - नाड़ी शुद्धि प्राणायाम
नाड़ी शुद्धि प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले दाहिने नाक को बंद करके बाएं नाक से सांस लें। इसके बाद दोनों नाक छिद्रों को बंद कर दें। इसके बाद दाएं नाक से सांस छोड़ें। फिर दोनों नाक से सांस लें और दोनों नाक को बंद कर दें। इसके बाद बाएं नाक से सांस छोड़ें। सांस लेने के बाद 4-8 तक की गिनती करने के बाद सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया को आप 10 बार तक दोहरा सकते हैं। - भ्रामरी प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम करना काफी फायदेमंद होता है। इसे करने के लिए पद्मासन में बैठ जाएं। दोनों आंखें बंद करें। दोनों हाथों की तर्जनी उंगुली को कान में डालें। ओम का उच्चारण करते हुए नाक से धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
आप स्वस्थ रहने के लिए उपरोक्त प्राणायामों को अपनी जीवनशैली में शामिल कर सकते हैं, यह प्राणायाम श्वसन तंत्र को मजबूत बनाते हैं। प्राणायाम करने से मन, आत्मा और शरीर को शांति मिलती है। नियमित प्राणायाम फेफड़ों को मजबूत बनाता है।
